शनिवार, 18 जुलाई 2015

प्लास्टिक कचड़े से बनेंगी सुन्दर, सस्ती, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल सड़कें- नीदरलैंड

नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने बोतलों में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक से सड़क बनाने की तकनीक विकसित की है। 40 से 80 डिग्री सेल्सीयस तापमान सह सकने बाली ये सड़के पर्यावरण के अनुकूल भी होगी। अभी तक डामर से बनने वाली सड़कों के बनाने में CO2 (कार्बन डाई ऑक्साइड) का अत्यधिक उत्सर्जन होता है लेकिन इस तकनीक में कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा। इस तकनीक के आ जाने से दुनिया में न केवल प्लास्टिक का कचरा कम होगा, सरकार को सड़क बनाने में पैसे की बचत होगी बल्कि इन सड़कों के टिकाऊ होने से लोगों को रोज-रोज के सड़क निर्माण में होने वाली दिक्कतों से निजात मिलेगी। अगले तीन सालों में रोटेरडेम दुनिया का पहला ऐसा शहर होगा जहां प्लास्टिक से बनी सड़कें होगी।

आयकर विभाग द्वारा ई-रिटर्न के लिए वन टाइम पासवर्ड(OTP) सुविधा शुरू।

आयकर विभाग ने करदाताओं के लिए ई-फाइलिंग के बाद कागजों के सत्यापन की पुरानी व्यवस्था को ख़त्म करके OTP(One Time Password) सुविधा को शुरू किया है। इस सुविधा के शुरू होने के बाद करदाताओं को ई-फाइलिंग के बाद पावती रशीद (आईटीआर-वी) को आयकर विभाग के बेंगलुरू स्थित कार्यालय नहीं भेजना होगा। इस सुविधा का इस्तेमाल इंटरनेट बैंकिंग, आधार नंबर, एटीएम और ई-मेल के जरिये किया जा सकता है।
इस बारे में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की ओर से अधिसूचित नियमों के अनुसार कोई भी आयकरदाता जिसकी बार्षिक इनकम पाँच लाख या उससे कम है और जिसका कोई  रिफंड दावा नहीं है, वह ई-फाइलिंग और इनकम टैक्स रिटर्न के सत्यापन के लिए विभाग के पास पंजीकृत अपने मोबाइल फ़ोन नंबर और ई-मेल से सीधे अपना इलेक्ट्रॉनिक वेरीफिकेशन कोड (OTP Password) जेनरेट कर सकता है।
हालांकि OTP प्रणाली के लिये कुछ खास शर्तें भी रखी गयी हैं, जिन्हें आयकर अधिकारी अलग-अलग आयकर दाताओं के जोखिम और प्रोफाइल को ध्यान में रखते हुये तय करेंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसका मतलब यह हुआ कि पांच लाख या उससे कम सालाना इनकम वाले पैन नंबर के बारे में यदि विभाग के पास कोई प्रतिकूल अवलोकन है तो ऐसी स्थिति में उस करदाता के लिये मोबाइल और ईमेल के जरिये सीधे वेरीफिकेशन की अनुमति नहीं होगी। उसे अन्य तय प्रक्रियाओं को अपनाना होगा जैसे आधार नंबर, इंटरनेट बैंकिंग या एटीएम से लिंक अप करना होगा। इसके अलावा Internet Banking इस्तेमाल करने वाले करदाताओं को उनके ई-रिटर्न को सत्यापन करने के लिये इलेक्ट्रॉनिक वेरीफिकेशन की सुविधा दी गयी है। 
नियमों में कहा गया है कि यह सुविधा इंटरनेट बैंकिंग वेबसाइट पर उपलब्ध होगी और आयकरदाता इंटरनेट बैंकिंग आईडी, पासवर्ड और ट्रांसेक्शन पासवर्ड से इसकी पुष्टि कर सकते हैं। एजेंसी

बुधवार, 15 जुलाई 2015

29 जुलाई को Microsoft Windows 10 लांच होगा।

Microsoft जल्द ही दुनियाँ के तेरह देशों सहित भारत में Windows 10 लांच करने जा रहा है। जब से माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज 7 और 8 के बाद 9 को छोड़कर सीधे विंडोज 10 की घोषणा की है तभी से दुनियाभर से Windows पर काम करने वाले उपभोक्ता बेसब्री से विंडोज 10 का इंतजार कर रहे थे। विंडोज 10 ज्यादा सुरक्षित और ज्यादा तेज होगा। विंडोज 10 में ज्यादातर चीजें स्वयं ही अपडेट होंगी। Windows 10 कोरटाना, माइक्रोसॉफ्ट एज और एक्स बॉक्स इन्टीग्रेशन जैसे फीचर से लैश होगा। windows 7 और 8 ऑपरेटिंग सिस्टम(Operaring System) पर काम करने वाले उपभोक्ता मुफ़्त में ही विंडोज 10 को अपडेट कर सकेंगे।

सस्ते आकाश टेबलेट की योजना अधर में लटकी।

सरकार बदलने के साथ ही सरकार की प्राथमिकतायें बदल चुकी हैं। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की इस परियोजना के पूरा होने का युवाओं में बेसबरी से इंतजार था। यूपीए सरकार की महत्वाकाँक्षी सस्ते आकाश टेबलेट की योजना अधर में लटक चुकी है। इस परियोजना के शुरुआत से ही विभिन्न वर्गों द्वारा खामियों की शिकायतें आती रहीं, जिसके कारण से देश के छात्रों को सस्ते टेबलेट की योजना साकार नहीं हो सकी। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक आईआईटी, मुम्बई ने अपने जबाब में बताया है कि उसने आकाश टेबलेट को उन्नत बनाने की योजना को 31 मार्च, 2015 को बंद कर दिया है। आकाश टेबलेट को बनाने के लिए दिए गए सभी लक्ष्य सफलतापूर्वक पूरे कर लिए गए हैं।आईआईटी, मुम्बई के अनुसार उसने आकाश टेबलेट के उन्नत प्रारूप की विशिष्टताओं का ब्यौरा सरकार को उपलब्ध करा दिया है। लेकिन संस्थान को सरकार की आकाश से सम्बंधित भविष्य की योजनाओं की जानकारी नहीं है। बता दें कि परियोजना का उद्देश्य सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश के दूरदराज के इलाकों तक शिक्षा को सुगम बनाना था।  संस्थान ने बताया है कि आकाश टेबलेट परियोजना के लिये ₹47.72 करोड़ मंजूर किये गए थे, जिन्हें परियोजना के लक्ष्यों को प्राप्त करने में खर्च किया गया। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार इस परियोजना के तहत अभी तक एक लाख टेबलेट खरीदने का लक्ष्य हासिल किया गया।
Kapil Sibbal Launched Akash Tablet

Pranav Mukharji launched Akash Tablet

बुधवार, 8 जुलाई 2015

वॉक्सवैगन कंपनी के प्लांट में रोबोट ने ठेकेदार को कुचलकर मारा।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कार निर्माता कंपनी वॉक्सवैगन के प्रवक्ता "हेइको हिलविग" के अनुसार, जर्मनी में फ्रैंकफुर्ट से 100 किमी उत्तर में बौनाटाल स्थित प्लांट में एक रोबोट ने एक 22 वर्षीय कर्मचारी को कुचलकर मार डाला। मृतक कंपनी में ठेकेदार का काम करता था। प्रवक्ता के अनुसार, युवक रोबोट की मरम्म्मत करने वाले दल के साथ था, अचानक रोबोट ने युवक को पकड़कर धातु की मोटी प्लेट से कुचल दिया। शुरुआती जाँच से ऐसे संकेत मिले हैं कि हो सकता है कि रोबोट में किसी खास कार्य के लिए कोई प्रोग्राम सेट किया गया हो और मानवीय चूक की वजह से दुर्घटना हुई हो। दुर्घटना की जगह पर एक कर्मचारी और खड़ा था, परन्तु उसे कोई भी नुकसान नहीं हुआ है। प्रवक्ता के अनुसार कंपनी अपने प्रोडक्शन में मदद के लिए रोबोट की मदद लेती है। जिस रोबोट से हादसा हुआ वह रोबोट कंपनी में एक सुरक्षित स्थान पर लगाया गया था। 
कानूनी सलाहकार इस बात पर विचार कर रहे हैं कि इस मामले हत्या का आरोप किस पर लगाया जाये और मामले को कैसे आगे बढ़ाया जाये।
दुनिया में पहले भी इस प्रकार के हादसे हो चुके हैं। इसी प्रकार के हादसे में सन् 1979 में अमेरिका के मिशिगन शहर में फोर्ड मोटर असेंबलिंग प्लांट में हुआ था। 25 वर्षीय रोबर्ट बिलियम्स वह पहला इंसान था,जिसे रोबोट ने अपनी भुजाओं में जकड़कर मार डाला था। 
इसी प्रकार की एक घटना सन् 1981 में जापान की कावासाकी हैवी इंडस्ट्रीज प्लान्ट में हुई, जिसमें उरादा नामक इंजीनियर टूटे रोबोट को पूरी तरह से बंद करना भूल गया। रोबोट ने उसे ग्राइंडिंग मशीन में पीस डाला।

नेशनल मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी 3 जुलाई से पूरे देश में लागू।

देश में बहुप्रतीक्षित नेशनल मोबाइल नंबर पोर्टेबिलटी (Natianal Mobile Number Portability) सुविधा 3 जुलाई से पूरे देश में एक साथ लागू हो गयी है। अभी तक मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की यह सुविधा मोबाइल कंपनी के एक सर्किल के अंदर ही उपलब्ध थी। अब उपभोक्ता द्वारा राज्य बदलने या दूरदराज के इलाके में जाने पर भी अपना मोबाइल नंबर नहीं बदलना पड़ेगा। अब उपभोक्ता द्वारा एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर या सर्किल चेंज करने पर नंबर को बिना बदले ही अपना नंबर दूसरी कंपनी में पोर्ट करा सकता है और अपनी पहचान कायम रख सकता है। निजी क्षेत्र की कंपनियों Airtel, Idea, Reliance, Vodafone, Uninor, Sistema Shyam teleservices, HTC और Videocon ने भी 3 जुलाई से पूर्ण एमएनपी(MNP) की घोषणा कर दी है। सरकारी क्षेत्र की बीएसएनएल और mtnl ने भी तीन जुलाई से पूर्ण MNP की घोषणा की है। नेशनल मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की सुविधा को पिछले तीन मई से लागू किया जाना था लेकिन सेल्यूलर ऑपरेटर एसोसिएशन की प्रार्थना पर दूरसंचार विभाग की तरफ से टेलिकॉम कंपनियों को दो महीने की मोहलत दी गयी थी। यह मोहलत 3 जुलाई, 2015 को समाप्त हो गयी है। एयरटेल ने कहा है कि उसके उपभोक्ता महज 24 घंटे के भीतर ही एमएनपी की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। एयरटेल पोस्टपेड उपभोक्ता यदि अपना राज्य बदलता है तो उसका बिल भी अपने आप दूसरे राज्य में कैरी फॉरवर्ड हो जायेगा। रिलायंस कम्युनिकेशन के प्रवक्ता के मुताबिक कंपनी पूर्ण एमएनपी के तहत अपने प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों प्रकार के उपभोक्ताओं के लिए कई आकर्षक प्लान लेकर आयी है।
How to port the Mobile number in one company to other company?(MNP Process):
जिस कंपनी में अपना मोबाइल नंबर पोर्ट कराना है, सबसे पहले उस कंपनी से अक्वीजिशन फॉर्म (सीएएफ) और पोर्टिंग फॉर्म लेकर, उसे भरकर व जरूरी दस्तावेजों (पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो, आईडी प्रूफ व एड्रेस प्रूफ) के साथ सम्बंधित मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर के पास जमा करें तथा नयी कंपनी से सिम कार्ड लें। इसके साथ ही आपको अपने उस मोबाइल नंबर से PORT लिखकर 1900 पर मेसेज करना पड़ेगा, जिसे आपको दूसरी कंपनी में पोर्ट कराना है। उसके बाद आपको डोनर कंपनी से एक यूनिक पोर्टिंग कोड(UPC code) मिलेगा। नयी कंपनी पोर्ट का समय व तिथि बताएगी। पूरी प्रक्रिया में सात कार्यदिवस का समय लगेगा। इस प्रक्रिया में सिर्फ पोर्टिंग वाले समय रात में दो घंटे के लिये मोबाइल बंद रहेगा। इसके बाद बताये समय पर नया सिमकार्ड लगाना पड़ेगा। कंपनी शुल्क के रूप में सिर्फ 19 रुपये ही उपभोक्ता से ले सकती है।

इसरायल ने तैयार की आईपी हाईजैकिंग को रोकने की तकनीक

सन् 2008 में पाकिस्तान ने अपने यहाँ youtube.com को प्रतिबंधित करने के प्रयास में उसके वैश्विक प्रवेश को ही ब्लाक कर दिया था। इसके बाद 8 अप्रैल, 2010 का वह दिन जब चीन के हाइजैकर्स ने अमेरिका सहित दुनियाभर के 15 प्रतिशत इंटरनेट ट्रैफिक का आवागमन 18 मिनट के लिए अमेरिका से न होकर चीन से कर दिया। इन दोनों घटनाओं से दुनियाभर में हड़कंप मच गया। इंटरनेट विशेषज्ञों ने इसे "आईपी हाईजैकिंग" का नाम दिया।  इस घटना ने कोर डोमेन नेम सिस्टम में एक बड़ी खामी को उजागर किया। इस घटना के पांच साल बाद इसराइल की हिब्रू यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड कंप्यूटर साइंस के डा. माइकल शापिरा का दावा है कि उन्होंने "आईपी हाईजैकिंग" का हल खोज लिया है। डा. शापिरा और उनके सहयोगी हेर्जबर्ग ने मिलकर इंटरनेट ट्रैफिक को भटकाने के प्रयास को रोकने के लिए "नेवर्हुड" नाम की प्रणाली बनाई है। इस प्रणाली में अपना आईपी एड्रेस सत्यापित कराने की इच्छुक हर पार्टी को यह बताना पड़ेगा कि कौनसा नेटवर्क उसके सबसे नजदीक है। इस तरीके से समूची प्रणाली के लिए नेवर्हुड को सही तस्वीर मिल जायेगी। 
डा.शापिरा के मुताबिक प्रयोग से संकेत मिले हैं कि 20 से 30 प्रतिशत इंटरनेट भी अगर इस प्रणाली को अपनाले तो डीएनएस(Domain Name System) हाईजैकिंग को पूरी तरह से समाप्त किया जा सकता है। फिलहाल द फेडरल कम्युनिकेसंस कमीशन ने इसकी व्यवहारिकता की जाँच के लिए कार्यकारी समूह का गठन किया है। 
आखिर परेशानी की जड़ कहाँ पर है?: 
डोमेन नेम सर्वर सभी तरह के इंटरनेट संचार का मार्ग है। यह मुख्यतः सांख्यिकी आईपी एड्रेस के लिए जिम्मेदार होता है। इसे बॉर्डर गेटवे प्रोटोकॉल (बीजीपी) भी कहते हैं। जब कोई यूजर सामग्री चाहता है, तो इंटरनेट सर्वर स्वयं ही वैश्विक रुट चार्ट को चेक करके यूजर को शीघ्रता से सामग्री उपलब्ध करवाता है। यूजर को सामग्री उपलब्ध कराने का यह तरीका 1980 के पहले का है। तब वेब नया और सीमित था, इसका काम विश्वशनीय शोध विश्वविद्यालयों और संस्थानों को आपस में जोड़ना था। 
बीजीपी में इंटरनेट बहुत से छोटे नेटवर्कों के जरिये काम करता है। हर नेटवर्क अपने को सबसे तेज बताता है। इस तरह इंटरनेट ट्रैफिक सबसे तेज दावेदार की तरफ मुड़ जाता है। इस प्रकार आईपी हाईजैकिंग की घटना हो जाती है।

Coming soon: cheap and fast Internet

जल्द हकीकत होगा, तेज और सस्ते इंटरनेट का सपना।
न्यूयार्क, आईएएनएस: जर्नल साइंस में छपे शोध के अनुसार अब हमें तेज और सस्ते इंटरनेट के लिए अधिक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वैज्ञानिकों को इस दिशा में कामयाबी मिल चुकी है। शोधकर्ताओं को अधिकतम क्षमता और दूरी बढ़ाने में सफलता हासिल हुई है। इसमें ऑप्टिकल सिंग्नल को ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से भेजा जा सकता है। इस तकनीकी से ऑप्टिकल फाइबर के लिए डाटा ट्रान्सफर की दर को बढ़ाकर सुपरफास्ट इंटरनेट प्राप्त किया जा सकता है। इस शोध से ऑप्टिकल फाइबर में डाटा ट्रान्सफर की दर को बढ़ाने में लंबे समय से चले आ रहे अवरोध को दूर करने में मदद मिली है। सैन डिएगो स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया में क्वालकॉम इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक "निकोल एलिच" ने बताया, "हमारे शोध ने इस सीमित क्षमता के अवरोध को दूर किया है। इससे रिपीटर की जरूरत के बगैर ऑप्टिकल फाइबर में सिंग्नल को दूर तक भेजा जा सकता है।" इसे वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला परीक्षण में सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।